Description:कभी-कभी कहानियाँ आपके भीतर ही दबी रहती हैं — तब तक, जब तक अवसाद उन्हें बाहर खींच न ले।" ‘इतवार का एक दिन’ केवल एक कहानी संग्रह नहीं, बल्कि एक लेखक की आत्मा से रिसती हुई उन स्याह स्याह शामों की झलक है, जिन्हें अक्सर हम अपनी यादों की दराज में छिपा देते हैं। ब्रजेश कुमार सिंह — जो ‘अरहान’ नाम से लिखते हैं — ने इन कहानियों के ज़रिये अपने भीतर के अंधेरों, प्रेम के जटिलताओं, खोए हुए किरदारों, और उन अधूरी बातों को दर्ज किया है जो कहे जाने से चूक गईं। इस संग्रह में आप मिलेंगे: उस आदमी से, जो अपनी पत्नी को प्रेमी के साथ शादी करने देता है… उस लड़की से, जिसकी लाश अब भी इंतज़ार कर रही है कि कोई उसकी मौत की सच्चाई लिखे… उन गुम बिल्ली के बच्चों से, जिनकी तलाश शायद किसी मुराकामी की गलियों में होती है… उस लेखक से, जो हर बार टूटकर भी अपने किरदारों को नया जीवन देना चाहता है… लेखक की शैली में मुराकामी और काफ़्का की परछाइयाँ हैं, लेकिन उसके किरदार पूरी तरह देसी, संवेदनशील और हमारे आस-पास के हैं। अवसाद, प्रेम, अकेलापन, स्मृति, पछतावा और फैंटेसी — यह किताब आपको भीतर तक महसूस करवा सकती है। यदि आप ऐसी कहानियाँ पढ़ना चाहते हैं जो सिर्फ़ मनोरंजन नहीं, बल्कि आपको भीतर तक टटोलें — तो 'इतवार का एक दिन' आपके लिए है।We have made it easy for you to find a PDF Ebooks without any digging. And by having access to our ebooks online or by storing it on your computer, you have convenient answers with इतवार का एक दिन [Itvaar Ka Ek Din]. To get started finding इतवार का एक दिन [Itvaar Ka Ek Din], you are right to find our website which has a comprehensive collection of manuals listed. Our library is the biggest of these that have literally hundreds of thousands of different products represented.
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